NCPRI बिहार राज्य सम्मलेन, 25 सितम्बर, 2013, IMA हाल, पटना
सम्मलेन में पारित प्रस्ताव:
- जहाँ भी सूचना का अधिकार इस्तमाल करने पर और भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए किसी व्यक्ति को गंभीर हिंसा का सामना करना पड़ता है या ऐसी व्यक्ति की ह्त्या कर दी जाती है तो जिस इलाके में वह कार्य कर रहे थे वहाँ पर एक विशेष सामाजिक अंकेक्षण होना चाहिए.
- ऊपर वर्णित ह्त्या के मामलों में मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए.
- ऐसे मामलों में जहां ह्त्या के आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गयी हो, वहाँ भगोड़े आरोपी की सम्पति पांच दिन के अन्दर ज़ब्त की जानी चाहिए.
- धारा 4 के अंतर्गत जो सूचनाएं स्वतःस्फूर्त प्रदर्शित की जानी चाहिए उन्हें वेबसाइट पर डाला जाए और सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए.
- एक विशेष अध्याधेश के माध्यम से या आने वाले शीत कालीन सत्र में ही ‘शिकायतकर्ता सुरक्षा कानून’ और ‘शिकायत निवारण कानून’ पारित किये जाएँ.
- हम विशेष अध्यादेश के माध्यम से सरकार द्वारा अपराधी सांसदों को बचाने के प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं.
- लोक सेवाओं का अधिकार कानून को सशक्त करने के लिए हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि वह इस कानून को ‘सुनवाई के अधिकार कानून’ से जोड़े.
- कक्षा नौ से ही छात्रों को सूचना के अधिकार के कानून के बारे में पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाए.
- आज के दिन RTI कार्यकर्ताओं पर जो हिंसा के मामले सामने आये हैं उन को ले कर एक प्रतिनिधी मंडल राज्य सरकार के गृह सचिव से मिले.
- RTI कानून में जो प्रस्तावित संशोधन की बात चल रही है उस को ले कर बनाई गयी ‘standing committee’ में इस सम्मलेन से निम्न सुझाव जाए – “हमारा मानना है कि RTI कानून में ना सिर्फ राजनीतिक दल आयें बल्कि हर वह संस्था या संस्थान आयें जिन्हें किसी भी कारण से सरकार के यहाँ पंजीकृत होना पड़ता है जैसे – सहकारी समितियां, गैर सरकारी संस्थान, मजदूर संघ, कंपनी, धार्मिक संस्थान, मीडिया आदि.
Join the Conversation
Let us know your thoughts on this post.
No comments yet.