कई बार एक छोटी सी मदद बड़ा लंबा रास्ता जाती है, हाल में हमारे बुआ फुपजी और एक शुभचिंतक साथी ने मिल कर लगभग 300 कम्बल जाड़े में वितरण हेतु भेजे. हर बार की तरह मन में आया की इतने कम कम्बल और इतने लोग जाड़े से ठिठुरते, फिर याद आये वह सुखद पल जब हर साल कुछ चेहरों पर आराम और मुस्कान दिखी है इन चंद कम्बलों के वितरण से. साथियों आपकी मदद के लिए धन्यवाद.
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