4, 5 और 6 सितम्बर को बिहार के वैशाली, कटिहार और अररिया जिले में जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) और जन जागरण शक्ति संगठन (JJSS) द्वारा “बिहार जन संसद” का आयोजन किया गया | जन संसद यानी जनता की संसद, जहाँ लोग अपने मुद्दों पर गंभीर चर्चा करें | जन संसद का मुख्य उद्देश था – बिहार में चुनावी मुद्दा क्या हों यह जनता तय करे | तीनों जगह बैठी इस जन संसद में संवाद, विमर्श और जन सुनवाई के माध्यम से लोगों ने 2015 के बिहार चुनाव के लिए अपने मुद्दों को चिन्हित किया|
वैशाली में बिहार जन संसद पातेपुर प्रखंड के प्रांगण में बैठी | सवेरे 9 बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया जबकी कार्यक्रम 11 बजे से घोषित था, लोगों के उत्साह का यह एक अच्छा संकेत था | फटी पुरानी चप्पलें पहने, साधारण लिबाज़ में बेहद आम लोग 8 से 10 किलोमीटर पैदल चल कर जन संसद में भाग लेने पहुंचे और कुछ समूहों ने चंदा कर ऑटो की व्यवस्था की | वहाँ पातेपुर और जमदाहा प्रखंड के राघोपुर नरसंडा, बलिगाँव, ख्वाजपुर बस्ती, मंदैदी, लदहो, दभयच, क्वाही, मरुई, चाने, मीरपुर, मालपुर, नारी खुर्द आदि पंचायतों के एक हजार से ऊपर मजदूर किसान अपनी बात रखने के लिए इकट्टा हुए | महिलाओं की तादाद पुरुषों से बहुत अधिक थी |
कार्यक्रम के पहले सत्र में अलग अलग गाँव से आए लोगों ने अपनी बात रखी | उन्होंने बताया कि कैसे उनको रहने की अपनी जमीन नहीं है, पानी पीने के लिए नल नहीं है जिसके कारण उन्हें आस पास के कल पर जाना पड़ता है और अपमान भी सहना पड़ता है | टोला जाने के लिए सड़क नहीं, टोला में बिजली नहीं | उन्हें काम नहीं मिलता है जिस कारण उनकी स्थिति बेहद खराब है | सरकारी योजनाओं को लेकर कई बाते हुई और यह बात सामने आयी कि वृधा पेंशन की दौड भाग, मनरेगा में काम नहीं मिलना और राशन की कटौती से वह परेशान हैं | उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले प्रत्याशी आते हैं और वादा कर के चले जाते हैं | जीतने के बाद वह फिर लौट के नहीं आते | पैसा और दारु के सहारे वोट खरीदने का भी काम गरीबों के बीच खूब चलता है |
दूसरे सत्र में लोगों की बातों को समेट कर रखा गया | मुद्दों को चिन्हित करते हुए जन जागरण शक्ति संगठन की पूर्व महासचिव और जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की राष्ट्रीय संयोजक समिति की सदस्य कामायनी स्वामी ने कहा कि इस चुनाव में हमें धर्म और जाति के नाम पर नहीं बटना होगा और अपने हक-अधिकार के लिए मतदान करना होगा | जन संसद में भाग लेने आए मध्य प्रदेश में विधायक रहे किसान संघर्ष समिति के डा. सुनीलम ने लोगों की बातें आगे बढाते हुए कहा कि असमानता चरम सीमा पर है, विधायकों को २०-३० हज़ार रूपये का पेंशन मिलती है, मगर हमारे मजदूर और किसान भाई बहनों को अगर बड़ी मुश्किल से पेंशन मिल भी जाती है तो मात्र ४०० रु महीना | उन्होंने कहा कि ५४५ लोक सभा के सांसदों में ४४० सांसद करोड़पति हैं तो फिर वह गरीबों की बात और उनकी समस्या को कैसे सुनेंगे? जरुरत है कि हम ईमानदार लोगों को जिताएं | डा. सुनीलम ने भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक चेहरे को उजागर करते हुए अपील की कि सांप्रदायिक पार्टियों को वोट नहीं करें | जन जागरण शक्ति संगठन की वैशाली यूनिट के प्रभारी अजय सहनी ने कहा कि मजदूर किसान जब संगठित होते हैं तो सारा बिचौलिया तंत्र उनके खिलाफ हों जाता है इसलिए बिचौलियों से सावधान रहने की जरुरत है | सभा में वैशाली जिला के वरिष्ठ नेता राघुपति जी, राष्ट्र सेवा दल के शाहिद कमाल, सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब और जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के आशीष रंजन ने भी अपनी बातें रखीं |
अंत में सभा में मौजूद सभी व्यक्तियों ने चुनाव में जाति धर्म से ऊपर उठ, कंपनी लूट की पक्षधर शक्तियों के खिलाफ मतदान करने के लिए शपथ ली | डा० कुल्बर्गी, का. पनसारे, और डा० दाभोलकर की याद में एक मिनट का मौन रखा गया |
कटिहार की जन संसद मनसाही प्रखंड के प्रांगन में आयोजित की गयी | स्वरुप वही रहा जैसा वैशाली में था, स्थानीय लोगों ने अपनी समस्याओं और समाधान पर बात की और फिर बातों को एकत्रित कर बाहर से आए समर्थक जैसे प्रो. वसी अहमद, डा. सुनीलम, समाजवादी नेता रघुपति जी ने अपनी बात आने वाले चुनाव के परिपेक्ष में रखीं | गर्मी और उमस से हाल बेहाल रहे पर लोगों की भागीदारी में कमी नहीं आई | स्थानीय साथी अरुण यादव ने जब सभा से पूछा की गरीब लोगों के पास क्या पेंशन, इंदिरा आवास और बी.पी.एल. का लाभ होना चाहिए तो जवाब हम सब को स्पष्ट था यह सब ही चीज़ें गरीब लोगों को इज्ज़त से जीने के लिए अनिवार्य हैं और इसलिए उनके पास होनी ही चाहियें, पर देश का दुर्भाग्य है की इज्ज़त से जीने के लिए जो अनिवार्य है वह आम लोगों को दुश्वार है |
जैसे कोई धुन धीरे धीरे अपने चरम पर पहुँचती है वैसे ही थी अररिया की जन संसद | अररिया के दूर दराज इलाके के करीब 2000 लोग अपनी बात कहने अररिया शहर पहुंचे | शहर के टाउन हाल से एक रैली निकाली गयी जिसमे सभी शामिल हुए | भीषण गर्मी में लोग ३ की. मी चल कर बड़े उत्साह के साथ नारा लगाते हुए सभा स्थल पर पहुंचे | “कमाने वाला खायेगा लूटने वाला जाएगा नया ज़माना आएगा”, “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है”, “लड़ेंगे जीतेंगे” “ठेकेदारी, गुंडागर्दी! बंद करो! बंद करो!” आदि नारों से अररिया शहर गूँज उठा | यह रैली समिति हाल, आश्रम मोहल्ला, अररिया में जा कर एक सभा में तब्दील हों गयी | समिति हाल में पांव रखने तक की जगह नहीं थी, मंच भी भर गया | कई लोग हॉल के बाहर से ही सुन रहे थे | स्पष्ट रूप से तय किया गया कि भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं देना है | इसका कारण उनकी मजदूर विरोधी नीति, भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाना, मोदी द्वरा झूठे वादे करना एवं मनरेगा को गड्ढा खोदना और फिर उसे भरने वाला कानून बताना और साम्प्रदायिक चेहरा रहा| यह तय किया गया कि जनता का घोषणा पत्र तैयार कर फिर गाँव गाँव जाना होगा और राजनितिक दलों पर जन संसद में उठे मुद्दों के लिए दबाव बनाना होगा|
जन संसद ने ऐलान किया है कि आम लोग जात-पात और धर्म से ऊपर उठ कर अपने मुद्दों के लिए वोट करेंगे | अब देखना यह होगा की प्रत्याशी क्या जनता के मुद्दों पर ध्यान देंगे? पर एक बात तो तय है यदि चुन कर आए प्रतिनिधि लोगों के मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगे तो जनता संघर्ष करेगी !
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